Movie Review : महाराज
कलाकार : जुनैद खान , जयदीप अहलावत , शालिनी पांडे , शरवरी वाघ , जय उपाध्याय , स्नेहा देसाई , विराफ पटेल , धर्मेंद्र गोहिल , संजय गोराडिया और माहेर विज
(सौरभ शाह की पुस्तक ‘महाराज’ पर आधारित)
निर्देशक :सिद्धार्थ पी मल्होत्रा
निर्माता :आदित्य चोपड़ा
ओटीटी :नेटफ्लिक्स
रिलीज :21 जून 2024
रेटिंग : 3. 5
जब भी किसी स्टारकिड की फिल्म आती है तो उसका इतने ज़ोर-शोर से प्रमोशन होता है मानो शहर में कोई राजा आया हो ऐसे में एक और स्टारकिड की फिल्म आयी है जिसका नाम है जुनैद खान और फिल्म का नाम है “महाराज”। जी है जुनैद खान, सुपरस्टार आमिर खान के बेटे हैं जिन्होंने नेटफ्लिक्स की फिल्म “महाराज” से बॉलीवुड में एंट्री की है। बिना किसी हल्ले-गुल्ले और प्रमोशन के रिलीज़ हुई इस फिल्म के रस्ते में काफी अटकलें आयी। दरअसल गुजरात उच्च न्यायालय ने इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी थी। अब फाइनली फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हो गयी है तो चलिए बात करते हैं की कैसी है फिल्म….
महाराज सही और गलत या सच और झूठ के दो पक्षों पर आधारित फिल्म है। यह एक यौन शोषण मानहानि मामले पर आधारित है जिसमें पत्रकार और सुधारक करसनदास मुलजी पर मानहानिकारक लेख लिखने के लिए धार्मिक नेता जेजे उर्फ जदुनाथजी बृजरतनजी महाराज द्वारा मुकदमा दायर किया गया था। जिसमें वल्लभाचार्य संप्रदाय के सिद्धांतों पर सवाल उठाया गया था, एक हिंदू संप्रदाय जिसके महाराज सदस्य थे। लेख ने उजागर किया कि कैसे यह संप्रदाय महिलाओं के यौन शोषण पर बनाया गया था। पुरुष अनुयायियों को उनकी भक्ति के संकेत के रूप में अपनी पत्नियों को धार्मिक नेताओं के साथ यौन संबंध के लिए पेश करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया।
एक्टिंग की बात करें तो जुनैद खान को देख कर लगता ही नहीं की वो पहेली बार स्क्रीन पर एक्टिंग कर रहे हैं। मेरे हिसाब से तो ये एक्टिंग के मामले में अपने पापा आमिर से भी एक कदम आने के खिलाड़ी निकलेंगे। जयदीप अहलावत तो हैं ही अभनय के शहंशाह। हर बार हमें वो एपीआई कमल अभिनय से दिल जीत ही लेते हैं। फिल्म में शरवरी शालिनी पांडे का किरदार निभा रही हैं जो कि छोटा मगर बड़ा ही प्यारा किरदार है। जेजे की पत्नी के रूप में मेहर विज भी अच्छी तरह से अपने किरदार को जीती हैं।
सिद्धार्थ पी मल्होत्रा का निर्देशन सहज है। वह समय बर्बाद नहीं करते और कहानी पहले दृश्य से ही शुरू हो जाती है। वह कथानक की संवेदनशीलता को भी समझते हैं और उसका ध्यान भी रखते हैं। फिल्म कई सवाल तो उठाती है लेकिन किसी धर्म पर हमला नहीं करती. नायक की बातों से साफ है कि वह धर्म के नाम पर शोषण को निशाना बना रहा है. वह अतिशयोक्ति भी नहीं करता और फिर भी मजबूत है। विपुल मेहता की रूपांतरित कहानी सशक्त और प्रगतिशील है। विपुल मेहता और स्नेहा देसाई की पटकथा आकर्षक और नाटकीय क्षणों से भरपूर है। स्नेहा देसाई के संवाद उस समय के लिए उपयुक्त हैं जिसमें यह सेट है और साथ ही तीखे भी हैं।
ओवरआल फिल्म 2 घंटे और 21 मिनट की ये फिल्म आपको शुरू से अंत तक बांधे रखेंगी। बीच बीच में कुछ चीज़ें आपको खटक सकती हैं लेकिन फिल्म की खूबसूरती आपको किसी और चीज़ पर नहीं जाने देगी। अगर आप अच्छा ott कंटेंट देखना चाहते हैं है तो ये फिल्म जरूर देखें.